माननीय मंत्री जी राजेंदर पाल गौतम ने बताया धीरे धीरे शिक्षा क्यों हमसे छीनी जा रही है

मंत्री जी ने महत्वपूर्ण प्रश्न पर प्रकाश डालते हुए बताया कैसे इस समाज से सीखा को दूर किय जा रहा है। उन्होंने बताया देश में 99 फीसदी सीनियर जज चाहे वो हाई कोर्ट के हो या सुपरिम कोर्ट के, सरकारी स्कूल से पढ़े है। देश में सीनियर प्रोफेसर, ब्यूरोक्रेट, डॉक्टर्स इनमे से 95 फीसदी सरकारी स्कूल से पढ़े है । इसका मतलब सरकारी स्कूल अच्छे थे, फिर क्या जरुरत पड़ गई प्राइवेट स्कूल कॉलेजो को लाने की?
क्योकि पहले लोग अठाहरा अठारह घंटे बिना मजदूरी के काम किया करते थे, बाबा साहब के मार्ग पे चल लोग पढ़ने लग गए। लोगो ने ठान लिया आधी रोटी खा लेंगे मगर बच्चो को जरूर पढ़ाएंगे, इससे हमारे भी लोग डॉक्टर, इंजीनियर, जज, कलेक्टर बनने लग गए, लोगो के पास पैसे आने लगे। जिससे उनमे आत्मा विश्वास आया और लोग अपनी मजदूरी मांगने लग गए। अगर आठ घंटे से ज्यादा काम करते तो ओवर टाइम भी मांगते। इससे उन लोगो के पेट में दर्द हो गया, के ये अब हमारे बच्चो के साथ कम्पटीशन करेंगे।
षडियंत्र के तहत शिक्षा को प्राइवेट किया गया और मेरिट लाई गई। जो सिर्फ नंबर के आधार पे डॉक्टर बने थे क्या वो अच्छे डॉक्टर नहीं है ? मानते है आबादी के हिसाब से कम्पटीशन बढ़ा है। मगर जो बच्चे पहले खुद पढ़कर सीट पा लेते थे , अब क्यों नहीं पा पाते क्योकि पहले प्रश्न ग्यारवी , बारहवीं की किताबो से आते थे अब बहार से आने लगे। अब जो प्राइवेट कोचिंग में पढता है वही पास कर पता है। और इन प्राइवेट कोचिंगों की फीस लाखो में है।
लाखो रूपये गरीब आदमी कहा से लाएगा, इससे कर दिया इन्होने अपना कम्पटीशन ख़त्म